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(Motivational Story) सुख की मोह-माया: एक शिक्षाप्रद कथा- एक बार एक इंसान घने जंगल में भागते-भागते भटक गया। अंधेरा छा चुका था, और उसे रास्ता नहीं सूझ रहा था। अचानक वह एक कुएं में गिरने लगा, लेकिन कुएं के ऊपर झुके पेड़ की एक डाल उसके हाथ में आ गई। उसने नीचे झांका तो देखा कि कुएं में चार अजगर मुंह खोले उसकी ओर घूर रहे थे। उसकी हालत और भी खराब हो गई, जब उसने देखा कि जिस डाल को वह पकड़े हुए है, उसे दो चूहे—एक काला और एक सफेद—धीरे-धीरे कुतर रहे हैं।
अचानक आया हाथी और मधुमक्खियां
इतने में, पास ही से एक हाथी आया और उस पेड़ को जोर-जोर से हिलाने लगा। इंसान की सांसें थम गईं। वह सोचने लगा कि अब उसका अंत निश्चित है। उसी पेड़ पर मधुमक्खियों का एक बड़ा सा छत्ता भी था। हाथी के पेड़ को हिलाने से मधुमक्खियां परेशान हो गईं और छत्ते से शहद की बूंदें टपकने लगीं। उनमें से एक बूंद उस इंसान के होठों पर गिरी। उसने प्यास से सूख रही अपनी जीभ से उस बूंद को चाटा, तो उसे लगा कि उसने जीवन का सबसे स्वादिष्ट अनुभव पा लिया है।
शहद की मोह माया
शहद की उस बूंद में इतना मिठास था कि वह अपने संकटों को भूल गया। हर बार शहद की बूंद के गिरने का इंतजार करता और उसे चाटने में मगन हो जाता। इस दौरान, कुएं के अजगर, चूहे, और हाथी का भय जैसे उसकी चेतना से गायब हो गया। वह हर बूंद में अपने सुख की तलाश करने लगा।
शिवजी का आगमन
उसी जंगल में से भगवान शिव और पार्वती देवी अपने वाहन से गुजर रहे थे। मां पार्वती ने उस इंसान की दयनीय स्थिति देखी और भगवान शिव से उसे बचाने का अनुरोध किया। शिवजी उसके पास आए और कहा, "मैं तुम्हें इस संकट से बाहर निकाल सकता हूं। मेरा हाथ पकड़ लो और मैं तुम्हें बचा लूंगा।"
लेकिन उस इंसान ने उत्तर दिया, "थोड़ा और शहद चाट लूं, फिर चलता हूं।" वह बार-बार शहद की अगली बूंद के इंतजार में शिवजी का प्रस्ताव टालता रहा। अंततः, भगवान शिव थक-हारकर वहां से चले गए।
जीवन के प्रतीक और शिक्षा
यह कहानी केवल एक रोमांचक घटना नहीं है, बल्कि गहरी शिक्षा देने वाली प्रतीकात्मक कहानी है।
- कुआं: जीवन के खतरों और समस्याओं का प्रतीक है।
- चूहे: दिन और रात हैं, जो हमारी आयु को धीरे-धीरे समाप्त कर रहे हैं।
- हाथी: हमारे घमंड और इच्छाओं का प्रतीक है, जो हमारी स्थिरता को हिलाते रहते हैं।
- शहद की बूंदें: सांसारिक सुख हैं, जो हमारी चेतना को भटका देती हैं।
- अजगर: मृत्यु का प्रतीक हैं, जो हर पल हमारी प्रतीक्षा में रहते हैं।
- शिवजी का प्रस्ताव: हमारे जीवन में आने वाले आध्यात्मिक अवसर हैं, जिन्हें हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं।
सीख
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सांसारिक सुखों में उलझकर हम अपने जीवन के असली उद्देश्य को भूल जाते हैं। जो व्यक्ति मोह-माया में फंसा रहता है, उसे परमात्मा भी नहीं बचा सकते। जीवन में सच्चा आनंद पाने के लिए हमें भौतिक इच्छाओं से ऊपर उठकर अपने आध्यात्मिक विकास पर ध्यान देना चाहिए।
जीवन का मूल्य समझें और आत्मा के उद्धार की ओर ध्यान दें, क्योंकि यही सच्चा सुख है।
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